‘क्राइम स्टेट’ ;U.P.; हाथरस के बाद बलरामपुर; बी.कॉम की दलित छात्रा फ़ीस जमा करने घर से निकली – ;अपहरण,गैगरेप, मौत

30 सितंबर को बलरामपुर में दलित समाज की एक और युवती के साथ अमानवीय वारदात हो गई। इस युवती के साथ बलात्कार किया गया और अभियुक्तों ने उसके पांव और कमर को तोड़ दिया। गंभीर रूप से घायल युवती की मौत हो गई।

हाथरस का मामला पूरे देश को झकझोर देने वाला है। पीड़िता के साथ अमानवीयता की हदें तो पार की ही गई हैं, उसकी मौत के बाद पीड़िता के परिवार वालों के साथ जिस तरह से पेश आया जा रहा है वह कम झकझोरने वाला नहीं है। 

हाथरस के बाद  बलरामपुर में 22 वर्षीय दलित युवती के साथ भी  गैगरेप

उत्तर प्रदेश (UP) केहाथरस(Hathras) में एक दलित युवती से गैंगरेप और उसकी निर्मम हत्या को लेकर देश में आक्रोश व्याप्त है, इसी बीच, इसी तरह का एक और मामला राज्य के बलरामपुर जिले से सामने आया है. हाथरस से करीब 500 किमी की दूरी पर 22 वर्षीय दलित युवती के साथ भी दरिंदों ने गैगरेप किया फिर उसकी बुरी तरह से पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई. यह वाकया मंगलवार (29 सितंबर) की शाम का है, जब देश का ध्यान दिल्ली के सफदरजंग में हाथरस की युवती की मौत पर केंद्रित था और पुलिस उसकी लाश उसके गांव ले जाने में लगी थी. बलरामपुर की युवती की मौत उस वक्त हो गई, जब उसे इलाज के लिए लखनऊ अस्पताल लाया जा रहा था. सूत्रों के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि हुई है. सूत्रों ने ये भी बताया कि पीड़ित के शरीर पर कई जगह घाव और चोट के निशान थे. मृतक युवती के भाई ने बताया है कि पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक नाबालिग है. पीड़िता की मां ने बताया कि सुबह में वो घर से निकली थी, जब शाम तक नहीं लौटी तो पुलिस को इसकी सूचना दी गई. सूत्रों ने कहा कि वह शाम 7 बजे के आसपास लौटी, हमलावरों ने उसे ई-रिक्शा पर बिठाकर अपने घर भेज दिया था. उस वक्त युवती बेहोशी की हालत में थी. परिजन उसे अस्पताल ले गए. अस्पताल में डॉक्टर ने उसे अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया. रास्ते में उसकी मौत हो गई. पीड़िता की मां ने बताया, “बदमाशों ने उसे किसी नशीले पदार्थ का इंजेक्शन लगा दिया था जिसकी वजह से वह होश खो बैठी थी. फिर उनलोगों ने उसके साथ बलात्कार किया… उनलोगों ने उसके पैर भी तोड़ दिए. शरीर के पिछले हिस्से को भी तोड़ दिया. एक रिक्शा-वाला उसे लेकर आया और हमारे घर के सामने फेंक दिया. मेरी बच्ची मुश्किल से खड़ी हो सकती थी या बोल पा रही थी.” उन्होंने कहा, “मेरी बेटी ने रोते हुए कहा, मुझे किसी भी तरह बचा लो, मैं मरना नहीं चाहती.” युवती ने मां से शिकायत की थी कि उसके पेट में बहुत जलन और दर्द है. स्थानीय डॉक्टरों ने कहा कि उसकी हालत गंभीर है. उसे लखनऊ ले जाने की सलाह दी. लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. पुलिस ने रिश्तेदारों को उसकी लाश सौंप दी, इसके बाद बुधवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.

राहुल गाँधी ने आज भी ट्वीट कर उत्तर प्रदेश में ‘जंगलराज’ होने, ‘बेटियों पर ज़ुल्म’ और ‘सरकार की सीनाज़ोरी’ का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि कभी जीते-जी सम्मान नहीं दिया और अंतिम संस्कार की गरिमा भी छीन ली।  कांग्रेस नेता राहुल गांधी काफिले के साथ हैं और पैदल ही मार्च की अगुवाई कर रहे हैं. कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं को गुरुवार दोपहर को डीएनडी पार करते हुए यूपी में घुसे, लेकिन बाद में सभी के काफिले को रोक दिया गया था. 

‘क्राइम स्टेट’ बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की बेटी के साथ हुए जुल्मों का शोर अभी थमा भी नहीं था कि बलरामपुर से ऐसी ही ख़ौफ़नाक घटना सामने आई है। बलरामपुर में 22 साल की एक दलित युवती के साथ दो लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके दोनों पांव और कमर को तोड़ दिया। यह घटना जिले के गैसाड़ी गांव में मंगलवार को हुई है। 

बी.कॉम दूसरे वर्ष की यह छात्रा अपनी फ़ीस जमा करने के लिए घर से निकली थी। परिवार का कहना है कि वह एक प्राइवेट फर्म में काम भी करती थी। उन्होंने कहा कि जब वह वापस लौट रही थी तो उसका अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया गया। 

हाथरस में गैंगरेप और बर्बरता की शिकार युवती की ऑटोप्सी रिपोर्ट आ गई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीड़िता की मौत गैंगरेप के बाद गला दबाने और उसके साथ हुई बर्बर मारपीट से हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि युवती की रीढ़ की हड्डी पर भी चोट के निशान थे. ये रिपोर्ट दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल द्वारा जारी की गई है, जहां 20 वर्षीय युवती की मंगलवार को इलाज के दौरान मौत हो गई थी. 14 सितंबर को गांव के ही उच्च जाति के चार युवकों ने युवती के साथ गैंगरेप किया था. युवती खेतों में नग्न अवस्था में मिली थी. उसके शरीर से खून बह रहा था. उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे और हड्डियां टूटी हुई थीं.उसकी जीभ भी काट दी गई थी. मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि युवती के साथ गैंगरेप हुआ था और उसे गला दबाकर मारने की भी कोशिश की गई थी. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि स्पाइनल इंजूरी की वजह से युवती की मौत हो गई. पीड़ित परिवार के मुताबिक गले पर चोट की वजह से युवती को लकवा मार गया था और इस वजह से वह सांस नहीं ले पा रही थी. अस्पताल ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के सारांश में लिखा है, “मरीज का शुरुआती इलाज कमजोर तरीके से किया गया और उसके अटेंडेंट को बताया गया कि मरीज की हालत स्थिर है. बाद में पर्याप्त उपचार के बावजूद रोगी की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती गई और उसकी मौत हो गई.” रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे CPR भी दिया गया लेकिन हरसंभव कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका. मंगलवार सुबह 8.55 बजे उसकी मौत हो गई.

दबंगों ने बलात्कार की वारदात को अंजाम देने के बाद दलित युवती को रिक्शे पर बिठाकर घर भेज दिया। युवती उस वक्त अचेत अवस्था में थी। परिजनों ने कहा है कि उनकी बेटी के दोनों पैर और कमर की हड्डी तोड़ दी गई थी। हालत गंभीर होने पर परिवार वाले उसे लखनऊ के किसी अस्पताल में ले जा रहे थे लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को बलात्कार से पहले कोई घातक इंजेक्शन लगाया गया था। 

हाथरस मामले में दलित युवती के बयान देने के बाद कि उसके साथ दरिंदगी हुई है, लेकिन सरकारी रिपोर्ट में इसका कहीं कोई जिक्र न करने वाली योगी सरकार की पुलिस यहां भी वही काम कर रही है। बलरामपुर पुलिस ने कहा है कि पैर व कमर तोड़ने वाली बात सही नहीं है क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हुई है। जबकि हाथरस की ही तरह यहां पर भी युवती के परिजन चीख-चीखकर कर रहे हैं कि अभियुक्तों ने बेरहमी करते हुए उनकी बेटी के दोनों पांव और कमर को तोड़ दिया। 

हाथरस के प्रकरण में अभियुक्तों द्वारा बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया था। 

उत्तर प्रदेश में बेतहाशा बढ़ रहे अपराधों के कारण योगी सरकार कटघरे में है। आम जनमानस में इन अपराधों के कारण ग़ुस्सा है। प्रदेश में ‘राम राज्य’ देने का वादा करने वाले योगी आदित्यनाथ ने जब ख़ुद यह बताया कि हाथरस की घटना को लेकर मुल्क़ के वजीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने उन्हें फ़ोन किया है तो लोगों को लगा कि शायद राज्य सरकार अब क़ानून व्यवस्था के मसले को गंभीरता से लेगी। 

हाथरस में दलित युवती के साथ हुई हैवानियत के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पीड़ित युवती के गांव जा रहे हैं। लेकिन उनके काफिले को ग्रेटर नोएडा में एक्सप्रेस-वे पर पुलिस ने रोक लिया। इसके बाद राहुल और प्रियंका पैदल ही हाथरस की ओर जा रहे हैं। इससे पहले डीएनडी पर भी भारी पुलिस बल तैनात था लेकिन वहां से काफिले को आगे जाने दिया गया था। प्रियंका और राहुल के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भी वहां मौजूद हैं। 

हाथरस में दलित समुदाय की एक युवती के साथ हैवानियत और फिर उसका जबरन दाह संस्कार करने के कारण इस समुदाय के साथ ही हर आम व खास शख़्स में गुस्सा है। ऐसे में बीजेपी के दलित नेताओं के भीतर भी बेचैनी है, क्योंकि पीड़िता के परिवार की ओर से बीजेपी के स्थानीय सांसद (जो दलित समुदाय से ही हैं) पर पीड़िता को सही वक़्त पर इलाज मुहैया न कराने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा भी लोग बीजेपी के दूसरे दलित नेताओं से पूछ रहे हैं कि वे इतनी वीभत्स घटना के बाद भी आवाज़ क्यों नहीं उठाते। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कई दलित सांसदों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कहा कि इस घटना से सरकार और शासन की छवि को चोट पहुंची है, साथ ही राजनीतिक नुक़सान भी हुआ है। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में उत्तर प्रदेश बीजेपी के चार दलित सांसदों ने हाथरस मामले में पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और कहा कि इसकी उचित जांच होनी चाहिए। उन्होंने परिवार को शामिल किए बिना युवती का दाह संस्कार करने पर भी सवाल उठाए।   कौशांबी के सांसद विनोद कुमार सोनकर ने कहा, ‘निश्चित रूप से इस घटना से राज्य और हमारी सरकार की छवि ख़राब हुई है। इससे राजनीतिक नुक़सान भी हो रहा है। लेकिन राज्य सरकार परिवार को न्याय दिलाने के लिए पूरे प्रयास कर रही है।’ सोनकर ने इस तरह की घटनाओं के लिए पुलिस में जातिवाद और भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने की बात मानी। इसके बाद सोनकर एसपी और बीएसपी सरकारों के काम पर उतर आए और गिनाने लगे कि उनकी सरकारों में पुलिस विभाग और नौकरशाही में किस तरह जाति के आधार पर पद बांटे जाते थे। बाराबंकी के सांसद उपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस घटना के बाद राज्य के दलित बेहद निराश हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना की मजम्मत सिर्फ इसलिए नहीं की जानी चाहिए कि यह एक दलित युवती के साथ हुआ है, ऐसी घटना किसी के साथ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने भी योगी सरकार में भरोसा जताया कि वह किसी भी दोषी को नहीं छोड़ेगी। सांसद ने कहा कि अगर सरकार दोषियों को सजा नहीं देगी तो उसे नुक़सान होगा। 

योगी सरकार के लिए मुश्किलें अब और भी बढ़ गई हैं

हाथरस गैंगरेप को लेकर जिस तरह की उग्र प्रतिक्रिया दलित समाज में हुई है, उससे दलित राजनीति के दम पर उत्तर प्रदेश और देश में अपना सियासी वजूद बनाने वालीं मायावती के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। मायावती जानती हैं कि अगर इस बार वह योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ चुप रहीं तो उनके पास जो बचा-खुचा दलित वोट बैंक है, वह भी चला जाएगा।  मायावती ने कहा, ‘हाथरस की घटना के बाद मुझे ऐसा लग रहा था कि यूपी में बीजेपी की सरकार कुछ हरक़त में आएगी। लेकिन अब तो बलरामपुर में भी दलित छात्रा के साथ ऐसी ही घटना हुई। उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार में क़ानून का नहीं, गुंडों-बदमाशों-माफियाओं, बलात्कारियों और अन्य अराजक तत्वों का राज चल रहा है और क़ानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी हैं।’

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एएनआई से कहा, ‘आरएसएस के दबाव में आकर योगी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन वे इस लायक नहीं हैं कि अच्छा शासन-प्रशासन दे सकें। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार योगी को गोरखपुर के मठ में बैठा दे या अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम सौंप दे।’ 

हाथरस ज़िले की सीमा को सील कर दिया गया है और पूरे ज़िले में धारा 144 लगा दी गई है। पीड़िता के साथ जिस तरह की दरिंदगी हुई व उसकी मौत के बाद जिस तरह से उसके परिवार के साथ पेश आया गया है उससे योगी सरकार को आम लोगों के ग़ुस्से का सामना तो करना ही पड़ा है अब राजनीतिक दल भी इस मामले को ज़ोर शोर से उठा रहे हैं। हाथरस गैंगरेप मामले में चौतरफ़ा आरोप झेल रहे योगी सरकार के लिए मुश्किलें अब और भी बढ़ गई हैं। .

उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप की घटना के बाद देशभर में गुस्सा है. कांग्रेस की ओर से लगातार यूपी सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हाथरस के लिए रवाना हुए. इस दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाथरस की घटना को लेकर यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा.

 प्रशासन ने हाथरस में गैंगरेप पीड़िता के घर किसी के भी जाने पर रोक लगा दी है। इस तरह से कहा जा सकता है कि ज़िला प्रशासन राहुल और प्रियंका को बॉर्डर पर ही रोकने की तैयारी कर रहा है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कोरोना को इसका कारण बताया है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस डीएम पी लक्षकार ने कहा, ‘हमें प्रियंका गाँधी की यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। एसआईटी आज पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाक़ात करेगी, मीडिया को अनुमति नहीं दी जाएगी।’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि ऐसी घटनाओं पर गुस्सा चढ़ता है, मेरी 18 साल की बेटी है. हर महिला को गुस्सा चढ़ना चाहिए. हमारे हिंदू धर्म में कहां लिखा है कि अंतिम संस्कार परिवार के बिना हो.  प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि प्रदेश की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार है, हर रोज प्रदेश में रेप की घटनाएं हो रही हैं. सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है. आप हिंदू धर्म के रखवाले हैं, आपने ये स्थिति बना दी है कि एक पिता अपनी बेटी की चिता नहीं जलवा पा रहे हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस काफिले के साथ हैं और पैदल ही मार्च की अगुवाई कर रहे हैं. कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं को गुरुवार दोपहर को डीएनडी पार करते हुए यूपी में घुसे, लेकिन बाद में सभी के काफिले को रोक दिया गया था. 

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