पहाड़ का युवा गायक; जिनकी आवाज में जादू ; पहाड़ की नारी के दर्द को उकेरा

उत्तराखंड को देवभूमि ऐसे ही नहीं कहा गया है हर रीति रिवाज हर कार्य का कोई विशेष महत्त्व होता है ,इसका मान सदैव ही पहाड़ की नारियों ने बढ़ाया है,ऐसी कर्मठ और साहसी नारी शायद ही विश्व में कहीं हो,

संघर्ष और कठिन मेहनत के बाद भी पहाड की मेहनती नारियों के चेहरे पर सदा मुस्कान रहती है  उन्हें प्रकृति से प्रेम है और प्रकृति ही उनके सौंदर्य को संवारती है,इससे इतर एक ऐसा हिस्सा पहाड़ की नारियों का होता है जंगलों ,में गाए जाने वाले गीत जिन्हें हम बाजूबंद कहते हैं,पहाड़ की चढ़ाई पर घास काटती ये घस्येरी और उनके कंठ से निकलते गीतों की ध्वनि चरवाहों या राहगीरों को दूर से ही खींच लाती है ,इससे उनका मनोरंजन भी होता है और उत्तराखंड की जो संस्कृति कहीं जीवित बची है उसको भी जीवित रखती हैं। हिमालयायूके के लिए नई दिल्‍ली से प्रियंका नेगी की एक रिपोर्ट- प्रेरित प्रमोद उनियाल- चम्‍बा , नई टिहरी; स्‍थानीय सम्‍पादक

उत्तराखंड की संस्कृति और यहाँ की भाषा बोली इत्यादि आज अगर देश दुनिया तक पहुंच रही है तो इसका श्रेय यहाँ के उन सभी युवाओ को जाता है जो अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति को संजोए हुए है वैसे तो आए दिन आप हिंदी पहाड़ी गीतों का मेशअप सुनते ही होंगे लेकिन आज हम आपको पहाड़ के एक ऐसे युवा गायक से रूबरू करने जा रहे है। वाकई जिनकी आवाज में जादू है ये गीत है जो पूरी तरह से पहाड़ के क्रियाकलापों और यहाँ के पहनावे पर केंद्रित कर बनाया गया है।

रिलीज होते ही 1 लाख व्यूज पार हुआ बेहद खूबसूरत पहाड़ी गीत; मेहनती नारियों का जीवन;;; पहाड़ की खूबसूरती तो सबको भाती है लेकिन जो यहाँ जीवन जीता है वही इसे समझ सकता है,और एक नारी से अधिक और कौन समझ सकता है जिसकी सुबह से शाम बस इन्हीं जंगलों में गुजर जाती है और यही उसकी दुनिया होती है।

दर्शकों को पसंद आई मॉडर्न घस्येरी ! “गीत लगान्दी” में पहाड़ी झलकियां!

Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

Details:   Title Track – Geet Lagandi, SINGER : Abhinav Rawat, STARRING : AKASH NEGI, AISHA SIDIQUI, LYRICS : ROHIT DUKLAN, RAVINDRA RAWAT , MUSIC: GUNJAN DANGWAL, VIDEO : CREATIVE BUDBAK D.O.P. : AVIRAL AJAY, SHUBHAM  Location ; Dehradun, Uttarakhand 

लॉकडाउन में जब जनजीवन ठप था, तब पहाड़ के कई कलाकार अपने हुनर को तराश रहे थे. देहरादून में रहने वाले अभिनव रावत उनमें से एक हैं. अभिनव रावत प्रतिभावान गढ़वाली गायक हैं  । और उन्होंने अपने गीत ‘गीत लगान्दी’ को यूट्यूब पर रिलीज किया है जोकि काफी पसंद किया जा रहा है । गुंजन डंगवाल का शानदार म्यूजिक जिसने गीत को बेहद आकर्षक बनाया है। वही गीत के लिरिक्स दिए है रोहित दुक्लान और रविंद्र रावत ने।

उत्तराखंड की संस्कृति और यहाँ की भाषा बोली इत्यादि आज अगर देश दुनिया तक पहुंच रही है तो इसका श्रेय यहाँ के उन सभी युवाओ को जाता है जो अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति को संजोए हुए है वैसे तो आए दिन आप हिंदी पहाड़ी गीतों का मेशअप सुनते ही होंगे लेकिन आज हम आपको पहाड़ के एक ऐसे युवा गायक से रूबरू करने जा रहे है। वाकई जिनकी आवाज में जादू है ये गीत है जो पूरी तरह से पहाड़ के क्रियाकलापों और यहाँ के पहनावे पर केंद्रित कर बनाया गया है। जी हां हम बात कर रहे है बेहद खूबसूरत गढ़वाली गीत ” गीत लगान्दी ” की जिसको स्वर दिए है युवा गायक अभिनव रावत (Abhinav Rawat) ने , जिनकी गायिकी अपने आप में बेजोड़ है। पहाड़ की खूबसूरती तो सबको भाती है लेकिन जो यहाँ जीवन जीता है वही इसे समझ सकता है,और एक नारी से अधिक और कौन समझ सकता है जिसकी सुबह से शाम बस इन्हीं जंगलों में गुजर जाती है और यही उसकी दुनिया होती है।

 “पहाड़ में अधिकांशतः लोग रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ रुख करते हैं और घर की जिम्मेदारी आती है महिलाओं के ऊपर जो घर भी संभालती हैं और पहाड़ के जीवन को भी जीवित रखती हैं,सुबह ही चूल्हा चौका करके निकल पड़ती हैं जंगल की तरफ जो ईंधन और चारे का मुख्य स्रोत है लेकिन जंगल का जीवन इतना आसान नहीं है जितना लोग इसे ट्रैकिंग करके दिखा देते हैं,ये आपके लिए एक या दो दिन का ट्रैकिंग हो सकता है लेकिन इन मेहनती नारियों का तो जीवन ही इस ट्रैक पर कट जाता है।

संघर्ष और कठिन मेहनत के बाद भी इन नारियों के चेहरे पर सदा मुस्कान रहती है  उन्हें प्रकृति से प्रेम है और प्रकृति ही उनके सौंदर्य को संवारती है,इससे इतर एक ऐसा हिस्सा पहाड़ की नारियों का होता है जंगलों ,में गाए जाने वाले गीत जिन्हें हम बाजूबंद कहते हैं,पहाड़ की चढ़ाई पर घास काटती ये घस्येरी और उनके कंठ से निकलते गीतों की ध्वनि चरवाहों या राहगीरों को दूर से ही खींच लाती है ,इससे उनका मनोरंजन भी होता है और उत्तराखंड की जो संस्कृति कहीं जीवित बची है उसको भी जीवित रखती हैं। बाजूबंद गीतों की वो विधा है जो महिला अपनी खुद(याद) में गाती हैं,इसमें कभी दूर धार पार?(पहाड़ के दूसरी तरफ) अपने मायके की याद होती है तो कभी परदेश गए पतिदेव की तो कभी अपने भाई बहनो की याद,ये उनके मन की आवज होती है जो गीत स्वरुप बाहर आती है इसमें करुणा भी होती है तो रुदन भी लेकिन इन सबके बीच सुनने वालों को बस मिलता है तो सुकून।

उत्तराखंड को देवभूमि ऐसे ही नहीं कहा गया है हर रीति रिवाज हर कार्य का कोई विशेष महत्त्व होता है ,इसका मान सदैव ही पहाड़ की नारियों ने बढ़ाया है,ऐसी कर्मठ और साहसी नारी शायद ही विश्व में कहीं हो,विषम परिस्थतियों का कैसे डटकर मुकाबला किया जाता है ये पहाड़ की नारी बतलाती है।ऐसी ही झलकियां दिखलाता वीडियो गीत लगान्दी यूट्यूब पर रिलीज़ हुआ है।

Singer : Abhinav Rawat ;;;अभिनव रावत शेफ की नौकरी किया करते थे, लेकिन अपने हुनर को तराशने के लिए उन्होंने शेफ की नौकरी छोड़कर अपने गाने पे ज़ोर दिया। औरअपना गाना रिलीज़ किया कड़ी  मेहनत और इंतज़ार के बाद अभिनव रावत और उनकी टीम ने इस गाने को रिलीज़ किया जो की काफी पसंद किया जा रहा है  चेंनेल नया होते हुए भी इस गाने ने  लाखो  व्यूज बटोर रहा है  ये गाना लोगो को खूब पसंद आ रहा है हमें लाइक्स और कॉमेंट्स के ज़रिए ये पता चल रहा है , इस वीडियो रेस्पॉन्स क़ाबिले तारीफ़ है ।

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