निकायों के सीमा विस्तार को चुनौती – याचिका- 9 March शुक्रवार को भी सुनवाई

हाई कोर्ट ने निकायों के सीमा विस्तार को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता से पूछा कि सरकार द्वारा परिसीमन करते समय प्रभावित लोगों को सुनवाई का मौका क्यों नहीं दिया गया। महाधिवक्ता ने इस मामले में सरकार की ओर से स्थिति साफ करने के लिए एक दिन का वक्त मांगा। अब कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई करेगी।

 

हाई कोर्ट में निकायों के सीमा विस्तार को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई अब 9 मार्च को होगी। कोर्ट ने मामले में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पक्षकार बनाने संबंधी प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया। अब सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। राज्य सरकार द्वारा निकायों का सीमा विस्तार कर उसमें ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी। इस नोटिफिकेशन को भवाली क्षेत्र के प्रधान संजय जोशी, हल्द्वानी ब्लॉक प्रमुख भोलादत्त भट्ट, ग्राम पंचायत बाबूगढ़ संघर्ष समिति कोटद्वार, पिथौरागढ़ के दौला बस्ते, नेडा, धनौरा, टिहरी के चम्बा समेत एक दर्जन से अधिक ग्रामीणों द्वारा याचिकाएं दायर कर सरकार के आदेश को चुनौती दी। याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा बिना उनका पक्ष सुने बिना उन्हें निकायों में शामिल कर लिया गया, जो संवैधानिक व नैतिक दोनों रूप से गलत है। यह भी कहा कि सीमा विस्तार के मामले में तय प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई आठ मार्च नियत कर दी। यहां बता दें कि पिछले दिनों कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति के आदेश दिए थे।

 
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर राज्य के तमाम गांवों का परिसीमन कर उन्हें निकायों में शामिल किया जा रहा है और ग्राम प्रधानों पर बस्ते जमा करने का दबाव डाला जा रहा है। पूर्व में कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
इन याचिकाओं में भवाली क्षेत्र के प्रधान संजय जोशी, हल्द्वानी के ब्लॉक प्रमुख भोला दत्त भट्ट, गाम पंचायत बाबूगढ़ संघर्ष समिति कोटद्वारा, पिथौरागढ़ की दौला वास्ते, नेडा धनोरा समेत 12 दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने सरकार के आदेश को चुनौती दी है। याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार द्वारा उन्हें सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया। बिना सुनवाई के लिए निकायों में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है। साथ ही यह भी कहा कि निकायों के सीमा विस्तार व निकायों में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करने के मामले में तय प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई शुक्रवार के लिए नियत कर दी है। 

 

नगर निगम हल्द्वानी के विस्तार के बाद उसमें शामिल किए गए गावों को हटाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। ग्राम प्रधान और बीडीसी सदस्यों ने विकासखंड कार्यालय पहुंचकर इसके विरोध में प्रदर्शन किया। पूर्व दर्जाधारी महेश शर्मा के नेतृत्व में पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने विकासखंड कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। इस मौके पर राज्य सरकार पर मनमाने परिसीमन का आरोप लगाते हुए सरकार का पुतला फूंका।  सभा में महेश शर्मा ने कहा कि जब तक सरकार पंचायत प्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना सरकार ऐसे फैसले करती रहेगी हम लगातार विरोध करेंगे। हल्द्वानी नगर निगम में शुक्रवार को जारी अधिसूचना के तहत 36 गांवों को शामिल किया गया है। अब इन गांवों को नगर का हिस्सा बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां चल रही है।  उन्होंने कहा कि सरकार चुनावी फायदे के बजाए गांव के वास्तविक विकास पर फोकस करे। जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर काम करें और मानकों का पूर्ण पालन कराया जाए।

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