घमासान जारी & 31 दिसंबर को राजनीतिक पार्टी का ऐलान करने वाले सुपरस्टार अस्पताल से डिस्चार्ज & किसान की असली मांग & Top National News 27 Dec 20

27 Dec. 20: Himalayauk Newsportal & Print Media: Top National News # High Light # किसान और सरकार के बीच घमासान जारी है # कोई भी ‘मां का लाल’ किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता– राजनाथ सिंह #31 दिसंबर को राजनीतिक पार्टी का ऐलान करने वाले  सुपरस्टार अस्पताल से डिस्चार्ज

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किसान और सरकार के बीच घमासान जारी है. किसान कड़ाके की सर्दी में भी सड़कों पर डटे हुए हैं. आज आंदोलन का 32वां दिन है. दिल्ली के बॉर्डर पर जमे किसान 27 और 28 दिसंबर को शहादत दिवस मनाएंगे. 30 दिसंबर को किसान ट्रैक्टर लेकर मार्च करेंगे. वहीं, इस घमासान के बीच किसानों की ओर से एक अच्छी खबर भी आई है. किसानों ने सरकार की ओर से आया बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. लेकिन साथ ही वो शर्तें भी रख दी हैं, जिन्हें लेकर ये पूरा घमासान चल रहा है. अब गेंद सरकार के पाले में है. किसानों ने प्रस्ताव के साथ आंदोलन तेज करनी की चेतावनी भी दे दी है. इस बीच सिंघु बॉर्डर पर स्टेज को बड़ा कर दिया गया है. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शाम 6 बजे सिंघु बॉर्डर जाने का ऐलान किया है.

किसानों और सरकार के बीच चल रहा गतिरोध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने भी अपना प्रस्ताव भेज दिया है और बाकायदा अपनी शर्त भी सरकार को बता दी हैं. अब गेंद सरकार के पाले में है, किसानों ने 29 दिसंबर का वक्त दिया है. इस बीच किसान एक तरफ जहां आंदोलन तेज करने की तैयारी कर रहे हैं वहीं सिंघु बॉर्डर पर स्टेज भी बड़ा कर दिया गया है.

किसानों की बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि सरकार से वार्ता नाकाम हुई तो प्रदर्शन तेज किया जाएगा. एनडीए के सांसद, विधायकों के विरोध को बढ़ाया जाएगा. अडानी-अंबानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार जारी रहेगा. हरियाणा के साथ-साथ अब पंजाब के टोल भी फ्री कर दिए जाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस साल की अंतिम मन की बात करेंगे. किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि आज सभी किसान पीएम मोदी के मन की बात का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि मन की बात के दौरान सभी लोग ताली और थाली बजाकर विरोध करें, थाली हो सके तो जूते से बजानी है क्योंकि थाली पीएम मोदी की होगी, जूता हमारा होगा. किसान ने कहा कि मोदी कभी मन की बात नहीं करते बल्कि मैले मन से बात करते हैं. कभी आत्मा की बात नहीं करते. इसलिए मन की बात का विरोध करें और वीडियो वायरल करें.

केरल के वित्त मंत्री ने कहा है कि प्रदेश को लेकर प्रधानमंत्री के पास गलत जानकारी है. केरल में न केवल धान के लिए एमएसपी है, बल्कि यह केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित एमएसपी से 900 रुपये प्रति कुंतल अधिक भी है. 16 सब्जियों और रबर, नारियल जैसी व्यावसायिक उत्पाद के लिए भी एमएसपी है. उन्होंने कहा है कि पूरी प्रतिक्रिया के लिए बजट का इंतजार करें. केरल में मंडी सिस्टम क्यों नहीं है? इसे लेकर केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने ट्ववीट कर जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि केरल में जितने भूभाग पर खेती होती है, उसके 80 फीसदी से अधिक भूभाग पर कॉमर्शियल फसलों का उत्पादन होता है. इसके लिए (नारियल को छोड़कर) अलग-अलग कमोडिटी बोर्ड और मार्केटिंग के नियम हैं. उन्होंने कहा है कि इसके बावजूद हमने किसानों के हितों की रक्षा के लिए एमएसपी के साथ हस्तक्षेप किया.

किसानों के मुद्दे पर पहले ही बीजेपी का साथ छोड़ चुकी अकाली दल ने RLP के कदम की तारीफ की है. RLP नेता हनुमान बेनीवाल द्वारा एनडीए से अलग होने के फैसले पर हरसिमरत कौर ने बधाई दी है. हरसिमरत ने ट्वीट में लिखा, ”अकाली दल के नक्शेकदम पर आगे बढ़ते हुए किसानों के हक में एनडीए छोड़ने के लिए मैं हनुमान बेनीवाल जो को बधाई देती हूं. आरएलपी ने कड़ा संदेश दिया है कि जो पार्टी किसानों के साथ हैं और अन्नदाता का सम्मान करती हैं वो सबकुछ कुर्बान करने के लिए तैयार हैं.”  

कोई भी ‘मां का लाल’ किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता– राजनाथ सिंह

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने का इरादा इस सरकार का ना तो कभी था, ना है और ना रहेगा. मंडी व्यवस्था भी कायम रहेगी. कोई भी ‘मां का लाल’ किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता. रक्षा मंत्री ने कहा, “ये दुष्प्रचार किया गया कि किसानों की जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी, कोई भी मां का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है. ये मुकम्मल व्यवस्था कृषि कानूनों में की गई है.” राजनाथ सिंह ने हिमाचल प्रदेश सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही. राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोग नए कृषि कानूनों को लेकर जानबूझकर गलफहमी फैला रहे हैं. उन्होंने कहा, “ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है जो लोग किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे. उनका धंधा खत्म हो जाएगा इसलिए जानबूझ कर देश के कुछ हिस्सों में एक गलतफहमी पैदा की जा रही है कि हमारी सरकार एमएसपी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है.”

चार महीनों में 4 पार्टियों ने छोड़ा BJP का साथ

नए कृषि कानून (Farm Laws 2020) और किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के रवैये से नाराज होकर शनिवार को राजस्थान में बीजेपी की सहयोगी रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) छोड़ दिया है. RLP के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद बेनीवाल ने खुद इसका एलान किया. पिछले चार महीनों में एनडीए छोड़ने वाली यह चौथी पार्टी है. इससे पहले सितंबर में किसानों के मुद्दे पर ही बीजेपी के सबसे पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए छोड़ दी थी. मोदी सरकार में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने किसानों के मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद अक्टूबर में पी सी थॉमस की अगुवाई वाली केरल कांग्रेस ने भी NDA का साथ छोड़ दिया. दिसंबर आते-आते असम में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया. 2014 के मुकाबले अब एनडीए में मात्र 16 दल रह गए हैं. हालांकि, कुछ दल ऐसे हैं जो हालिया में एनडीए में शामिल हुए हैं. ऐसे दलों में बिहार में जीतन राम मांझी की हम, मुकेश साहनी की वीआईपी शामिल है.  इसी तरह असम में प्रमोद बोरो की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी ने हाल ही में बीटीसी चुनावों के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन किया है. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने वृहतर एनडीए गठबंधन बनाते हुए आम चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन धीरे-धीरे उसके सहयोगी दल उससे छिटकते चले गए. सबसे पहले बीजेपी का साथ हरियाणा जनहित कांग्रेस ने छोड़ा था. कुलदीप विश्नोई ने लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद ही एनडीए को अलविदा कह दिया था. 2014 में ही तमिलनाडु की MDMK ने भी बीजेपी पर तमिलों के खिलाफ काम करने का आरोप लगा एनडीए छोड़ दी थी. इसके बाद तमिलनाडु चुनाव से पहले 2016 में  वहां की दो अन्य पार्टियों (DMDK, रामदौस की PMK) ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया था.

आंध्र प्रदेश में अभिनेता पवन कल्याण की पार्टी जन सेना ने भी 2014 में ही बीजेपी का साथ छोड़ दिया. बाद में 2016 में केरल की रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने भी बीजेपी का साथ छोड़ा. 2017 में महाराष्ट्र में स्वाभिमान पक्ष नाम की पार्टी मोदी सरकार पर किसान विरोध होने का आरोप लगाकर एनडीए से अलग हो गई. नागालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट , बिहार में जीतनराम मांझी की हम ने भी गठबंधन छोड़ दिया. हालांकि, 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव से पहले मांझी और साहनी फिर से एनडीए कुनबे में लौट आए हैं.

मार्च 2018 में एनडीए को तब बड़ा झटका लगा था, जब उसकी बड़ी सहयोगी पार्टी तेलगु देशम ने साथ छोड़ दिया. इस पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया था. इसके बाद उसी साल पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सहयोगी रही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भी एनडीए से नाता तोड़ लिया. इसी साल कर्नाटक प्रज्ञानवथा पार्टी ने भी एनडीए से अलग राह पकड़ ली. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार में मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (RLSP) ने भी एनडीए को छोड़ दिया. उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए और योगी मंत्रिमंडल छोड़ दी थी. साल 2018 में ही जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की साझा सरकार से खुद बीजेपी अलग हो गई. इस तरह पीडीपी भी एनडीए से अलग हो गई. 2019 में महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के मुद्दे पर बीजेपी की 30 साल से पुरानी सहयोगी पार्टी रही  शिव सेना ने एनडीए गठबंधन को छोड़ दिया और घोर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली.

बीजेपी सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि राहुल गांधी किसानों को बहका करके अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं. किसान आंदोलन को लेकर कहा कि यह विपक्षी सरकारों द्वारा प्रायोजित है. जो लोग दिल्ली की सीमाओं पर हैं वो एक -दो विशेष राज्य से हैं.

किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ के कार्यक्रम के दौरान थाली बज़ाकर विरोध दर्ज कराया.

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ के कार्यक्रम के दौरान थाली बज़ाकर विरोध दर्ज कराया. किसान संगठनों ने पहले ही सार्वजनिक रूप से कहा था कि वह इस कार्यक्रम का विरोध जताएंगे.  केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया, ताकि नए कानूनों को लेकर बना गतिरोध दूर हो सके. संगठनों ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया.

किसान की असली मांग ;  किसानों की मांग है कि सरकार ये कानून बनाए कि किसान की फसल चाहे कोई व्यापारी खरीदे, कोई निजी कंपनी खरीदे या फिर सरकार खरीदें. खरीफ़ सिर्फ MSP या उससे ऊपर हो नीचे नहीं.

किसान क्या चाह रहे हैं और सरकार आश्वासन क्या दे रही है.  किसानों की मांग है कि केंद्र की मोदी सरकार उनको गारंटी दे कि आने वाले कल में उनकी फसल को चाहे कोई भी खरीदे. चाहे सरकार हो या व्यापारी या फिर कंपनी. लेकिन MSP या उससे ऊपर दाम पर ही खरीदे.

सरकार का आश्वासन – सरकार कह रही है कि जैसे हम कल MSP सिस्टम चला रहे थे वैसे ही आज चला रहे हैं और आगे भी यह MSP सिस्टम बना रहेगा और हम इसको लिखित में देने को तैयार.

समस्या या मुद्दा –

सरकार MSP के मौजूदा सिस्टम को जारी रखने की बात कर रही है जबकि किसान MSP का नया सिस्टम चाहते हैं. क्योंकि MSP के मौजूदा सिस्टम में दिक्कत यह है कि केंद्र सरकार MSP तो कुल 23 फसलों की घोषित करती है लेकिन खरीदती मुख्य रूप से दो फसल है गेहूं और धान/चावल.

एक नजर डाल कर देखिए कि सरकार कुल पैदावार का कितना हिस्सा ख़रीदती है. साल 2019-20 में देश मे 1184 लाख टन चावल हुआ, सरकार ने 511 लाख टन खरीदा. 1076 लाख टन गेहूं हुआ, 390 लाख टन खरीदा. 231 लाख टन दाल में से 28 लाख टन ख़रीदी और 454 लाख टन मोटे अनाज जैसे ज्वार बाजरा आदि में से 4 लाख टन खरीदा. यानी सरकार ने कुल पैदावार का 32 फ़ीसदी खरीदा वो भी वो जो सरकार खरीदती है. सरकार हर फसल नहीं खरीदती.

यानी मौजूदा सिस्टम में किसान के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है कि अगर उसको लगे कि कोई निजी व्यापारी या कंपनी उसकी फसल को औने पौने दाम पर खरीद रही है तो वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल सरकार को बेच दे. इसलिए किसान इस मामले में सिस्टम को मजबूत बनवाना चाहते हैं.

मौजूदा MSP सिस्टम में सरकार पंजाब और हरियाणा से सबसे ज्यादा गेहूं और चावल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदती है इसलिए वहीं के किसान सबसे ज्यादा आशंकित है कि सरकार MSP ख़त्म कर देगी तो हमारा क्या होगा? लेकिन सवाल उठता है कि अगर सरकार लिखित में देने को तैयार है कि मौजूदा सिस्टम जारी रहेगा तो फिर पंजाब और हरियाणा के किसान क्यों आशंकित हैं?

दरअसल सरकार हर साल अपने खरीद लक्ष्य को संशोधित करती रहती है और तय करती है कि कितना अनाज खरीदना चाहिए. यानी MSP पर किसान के अनाज की सरकारी खरीद ऐसे नहीं होती कि किसान कितना भी अनाज पैदा करके ले आए और सरकार सारा खरीद लेगी.

दरअसल, सरकार लक्ष्य निर्धारित करती है और खरीदने वाली एजेंसियां हर इलाके में किसान से अलग-अलग मात्रा में खरीद करती हैं और वो भी एक तय समय सीमा में (यानी 100% खरीद नहीं होती और हर समय नहीं होती)

जैसे मान लीजिए उदाहरण के तौर पर कि हरियाणा में कहीं यह तय हो जाता है कि किसान के पास अगर एक एकड़ जमीन तो उससे 5 क्विंटल गेंहू ही खरीदेंगे चाहे उसकी पैदावार 10 क्विंटल ही क्यों ना हो तो वहीं पंजाब में अगर किसान के पास 1 एकड़ खेती की जमीन है तो 7 क्विंटल गेहूं खरीदेंगे चाहे उसके यहां पैदावार कितनी भी हो.

ऐसे में किसान को बाकी फसल तो खुले बाजार में ही बेचनी पड़ेगी? पंजाब और हरियाणा के किसान आंशिक तौर पर खुले बाजार में फसल बेचेंगे और बाकी जगह तो वैसे भी MSP सिस्टम इन राज्यों के मुकाबले कितना कमजोर है यह बताने की जरूरत नहीं.

ऐसे में पंजाब और हरियाणा के किसान इस बात से आशंकित हैं कि कल को अगर कोई निजी कंपनी/कंपनियां अपना वर्चस्व बना कर ओने पौने दाम पर उनकी फसल खरीदने लगे तो उनके पास क्या विकल्प होगा?

31 दिसंबर को राजनीतिक पार्टी का ऐलान करने वाले  सुपरस्टार अस्पताल से डिस्चार्ज

हैदराबाद: सुपरस्टार रजनीकांत को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. हैदराबाद के अपोलो अस्पताल ने कहा कि उनके स्वास्थ्य में सुधार को देखते हुए आज अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.  उनका बल्ड प्रेशर स्थिर है और वह काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं.

ब्लड प्रेशर की परेशानी के चलते उन्हें 25 दिसंबर को हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रजनीकांत पिछले 10 दिनों से हैराबाद में फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. शूटिंग के सेट पर मौजूद दो लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद 22 दिसंबर को रजनीकांत ने भी अपना कोरोना टेस्ट कराया था. हालांकि उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बाद से रजनीकांत आइसोलेशन में हैं. हालांकि उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं पाए गए हैं.

डिस्चार्ज किए जाने से पहले आज ही अपोलो अस्पताल की ओर से बताया गया था कि रजनीकांत की मेडिकल जांच रिपोर्ट में कुछ भी चिंताजनक नहीं है और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होने के संबंध में उनका इलाज चल रहा है. डॉक्टरों की एक टीम रविवार को उनकी स्थिति का आकलन करेगी और अस्पताल से छुट्टी देने के संबंध में फैसला लेगी. अस्पताल ने 70 वर्षीय अभिनेता के स्वास्थ्य से जुड़े एक मेडिकल बुलेटिन में बताया, ‘‘ सभी जांच रिपोर्ट आ चुकी हैं और इनमें कोई चिंताजनक बात सामने नहीं आई है.’’

बॉलीवुड और टॉलीवुड में शानदार मुकाम हासिल कर चुके सुपरस्टार रजनीकांत अब बहुत जल्द राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं. उन्होंने एक ट्वीट के जरिए बताया कि वह 31 दिसंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान करने वाले हैं.

यूपी सरकार पर सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने निशाना साधा

यूपी सरकार पर सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने निशाना साधा है. अखिलेश ने कहा कि बिना नए चुनाव के ग्राम पंचायतें भंग की गई. अखिलेश ने कहा कि सबसे छोटी इकाई के चुनाव में सरकार खुद को अक्षम बता रही है. ऐसी सरकार उत्तर प्रदेश क्या चलाएगी. अखिलेश ने कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद पर बीजेपी चोट न करे.

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