13 दिसंबर 21 ; विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पीएम मोदी की पूजा कराने वाले अर्चक यह क्या कर बैठे? ; पूर्व न्यासी का पीएम & हिमालयायूके को पत्र ;पीएमओ ने लिया संज्ञान ;हड़कंप
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, किसी के गुजर जाने के बाद संबंधित परिवार और पूरे खानदान पर 10 दिनों के लिए सूतक लग जाता है. इस दौरान देवालयों में जाना तो दूर पूजन तक नहीं किया जाता 13 दिसंबर को विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद गर्भगृह में अर्चक ने खुद पर सूतक लगे होने के बावजूद पीएम मोदी से पूजा करा दी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य प्रदीप कुमार बजाज ने कहा कि 1980 में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सत्ता में वापस आईं तो कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलापति त्रिपाठी ने सूतक ग्रस्त ब्राह्मणों से पूजा करवाने की गलती कर दी थी
HIGH LIGHT वाराणसी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व न्यासी दीपक बजाज ने प्रधानमंत्री तथा हिमालयायूके न्यूजपोर्टल उत्तराखण्ड को पत्र लिखकर जो जानकारी दी है उससे हडकम्प मच गया है – अर्चक श्रीकांत मिश्र के चचेरे भाई के पुत्र का निधन होने से सूतक काल में रहते हुए विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की पूजा कराई सूतक ग्रस्त अर्चक द्वारा पूजापाठ कराया जाना तो दूर विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करना भी शास्त्र सम्मत नहीं है। सूतक काल में रहते हए श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री की पूजा क्यों कराई?
विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के पूर्व न्यासी दीपक बजाज ने प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र हिमालयायूके लीडिंग न्यूजपोर्टल देहरादून को भी प्रेषित कर चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक को विस्तार से जानकारी दी
धाम के लोकार्पण के बाद जिस अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने पीएम मोदी की उपस्थिति में विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पूजा कराई थी, उसको सूतक लगा था. श्रीकांत मिश्रा के भतीजे वेद प्रकाश मिश्रा की 5 दिसंबर को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. इसका खुलासा तब हुआ, जब बीते दिनों अर्चक के मृतक भतीजे वेद प्रकाश मिश्रा की तेरहवीं का आयोजन हुआ और निमंत्रण पत्र सामने आया.
आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने भी की थी ऐसी ‘गलती’
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य प्रदीप कुमार बजाज ने कहा कि शास्त्र संवत तरीके से अर्चक श्रीकांत पूजन नहीं करवा सकते थे. उनका मंदिर प्रवेश भी वर्जित था महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सर्वसेवा संघ के अध्यक्ष और काशी विश्वनाथ धाम के पूर्व न्यासी प्रदीप कुमार बजाज ने पीएम मोदी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और धर्मार्थ कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को पत्र लिखकर शिकायत की और कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि सूतक काल में पूजा कराकर मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने सनातन धर्म में अनिष्ट को आमंत्रण दिया है. प्रदीप बजाज ने कहा कि 1980 में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सत्ता में वापस आईं तो कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलापति त्रिपाठी ने सूतक ग्रस्त ब्राह्मणों से पूजा करवाई थी. उसके बाद उसका क्या परिणाम सामने आया, यह मैं नहीं बोल सकता.
वाराणसी सूतक काल में रहते हए श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री की पूजा क्यों कराई? पीएमओ ने संज्ञान लिया- 13 दिसंबर 21 को विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद गर्भगृह में पीएम मोदी ने पूजा की थी। अर्चक श्रीकांत मिश्र ने चचेरे भाई का निधन होने से सूतक काल में रहते हुए विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की पूजा कराई थी। उन्होंने सूतक में होने की बात छिपाई थी। ऐसा करके उन्होंने सनातन परंपरा का अपमान करने के साथ अनिष्ट को आमंत्रण दिया है। सूतक ग्रस्त अर्चक द्वारा पूजापाठ कराया जाना तो दूर विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करना भी शास्त्र सम्मत नहीं है। सूतक काल में रहते हए श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री की पूजा क्यों कराई?
13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ बाबा के धाम में पीएम मोदी द्वारा विशेष पूजन करवाने की जिम्मेदारी पंडित श्रीकांत मिश्र के पास थी. पूरा अनुष्ठान उन्होंने ही संपन्न करवाया था. ऐसे में मंदिर के पूर्व न्यासी प्रदीप बजाज ने पीएम मोदी, मुख्यमंत्री और सचिव को एक पत्र लिखकर यह आरोप लगाया था कि पीएम मोदी द्वारा की गई पूजा के दौरान सूतक काल चल रहा था.
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के मौके पर शास्त्री विधान के विपरीत प्रधानमंत्री का पूजन कराने को लेकर विश्वनाथ मंदिर के अर्चक पं. श्रीकांत मिश्रा पर लगे आरोपों की जांच शुरू हो गई है। सूबे के धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने मंदिर प्रशासन से सभी पक्षों से जानकारी लेकर रिपोर्ट मांगी है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि जांच की जिम्मेदारी अपर कार्यपालक अधिकारी को दी गई है। वहीं, अर्चक श्रीकांत मिश्र का कहना है कि मंदिर प्रशासन की ओर से पक्ष मांगा गया है, उसे एक-दो दिन में उपलब्ध करा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को पंडित मिश्र के भतीजे की मौत हुई थी. वहीं, धर्म शास्त्र के अनुसार, सूतक काल में मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं, मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर रोक होती है. ऐसे में पंडित द्वारा पूजा करना गलत था. मामला संज्ञान में आने के बाद माहौल गंभीर हो गया और लोगों में हड़कंप मच गया. अब पूरे केस की जांच हो रही है.
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व न्यासी दीपक बजाज ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि अर्चक श्रीकांत मिश्र ने चचेरे भाई का निधन होने से सूतक काल में रहते हुए विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की पूजा कराई थी। उन्होंने सूतक में होने की बात छिपाई थी। ऐसा करके उन्होंने सनातन परंपरा का अपमान करने के साथ अनिष्ट को आमंत्रण दिया है। सूतक ग्रस्त अर्चक द्वारा पूजापाठ कराया जाना तो दूर विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करना भी शास्त्र सम्मत नहीं है।
पूर्व न्यासी ने पत्र में बताया है कि अर्चक श्रीकांत मिश्र के मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में रहने वाले चचेरे भाई रविकांत मिश्र के पुत्र वेदप्रकाश का सड़क हादसे में 5 दिसंबर को निधन हो गया था। 18 दिसम्बर को वेदप्रकाश के त्रयोदशाह में शामिल होने के लिए उनकी मां और पत्नी नरसिंहपुर गई थीं। ऐसी स्थिति में सूतक काल में रहते हए श्रीकांत मिश्र ने इतने बड़े महाआयोजन से खुद को दूर न रखते हुए प्रधानमंत्री की पूजा क्यों कराई?
काशी नगरी के श्री विश्वनाथ धाम में लोकार्पण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा अर्चना की. इसके बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने वहां आकर दर्शन किए. फिर देशभर के हर शहर के मेयर्स भी बाबा विश्वनाथ के पास मस्तक टेकने पहुंचे. इन सभी की पूजा संपन्न करवाई मंदिर के अध्यक्ष श्रीकांत मिश्र ने. इन्हीं श्रीकांत मिश्र पर सूतक काल में पूजन करवाने का आरोप भी लगा था. अब इन आरोपों के को लेकर जांच अब शुरू कर दी गई है.
इसकी शिकायत खुद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व सदस्य प्रदीप कुमार बजाज ने पूरे तथ्यों और दस्तावेजों के साथ पीएम मोदी, सीएम योगी और संबंधित अधिकारियों से लिखित तौर पर भी कर दी है
पत्र में लिखे गए मजमून के मुताबिक, 18 दिसंबर को त्रयोदशा का कार्यक्रम था. किसी के घर में मृत्यु होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों को सूतक लग जाता है. मृतक का पूरा क्रियाकर्म 13 दिनों तक किसी भी घर का कोई सदस्य पूजा पाठ और मंदिर में नहीं जाता है. फिर सबसे बड़ा सवाल उठता है कि काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने कैसे इतने बड़े आयोजन की पूजा कराई?
किसी के भी घर–परिवार में कोई शांत हो जाते हैं या स्वर्ग चला जाता है तो उस परिवार या घर में सूतक लग जाता है। … जिस तरह घर में बच्चे के जन्म के बाद सूतक लगता है उसी तरह गरुड़ पुराण के अनुसार परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लगने वाले सूतक को ‘पातक’ कहते हैं।
किसी व्यक्ति के घर-परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होती है तो उस कुल में कुछ दिनों के लिए सूतक काल लग जाता है। शास्त्रों के अनुसार ब्राम्हण को दस दिन का, क्षत्रिय को बारह दिन का, वैश्य को पंद्रह दिन का और शूद्र को एक महीने का सूतक लगता है किंतु विशेष परिस्थितियों में चारों वर्णों की शुद्धि दस दिनों में ही हो जाती है। इसे शारीरिक शुद्धि कहते हैं इसके पश्चात किसी भी तरह का छुआछूत दोष नहीं रहता तथा त्रयोदश संस्कार के बाद पूर्णशुद्धि हो जाती है। अतः परिवार में देवताओं की पूजा-आराधना इसके पश्चात ही की जाती है जिसमें स्थित सर्वप्रथम भगवान विष्णु की पूजा अथवा सत्यनारायण कथा का श्रवण अनिवार्य रूप से किया जाता है।
Presents by www.himalayauk.org (Leading Newsportal) by ChaandraShekhar Joshi Mob. 9412932030