14 जून 2021 को सीएम को पत्र लिखा; पिथौरागढ़ के फाइव जॉन में बसे निवासियों पर कहर बन कर टूटेगी बरसात,30 August 2021 बारिश ने जमकर कहर बरपाया

धारचूला के जुम्मा गांव में 30 August 2021 रविवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया। 14 जून 2021 को कैबिनेट मंत्री और मुख्‍यमंत्री उत्‍तराखण्‍ड को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि पिथौरागढ़ के फाइव जॉन में बसे निवासियों पर कहर बन कर टूटेगी बरसात, जबकि गदरपुर में 200 एकड़ भूमि खाली पड़ी है,

सेवा में श्रीमान गणेश जोशी जी मॉन0 कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार देहरादून

प्रतिलिपि मॉन0 मुख्य मंत्री उत्तराखंड

विषय:- पिथौरागढ़ के फाइव जॉन में बसे निवासियों पर कहर बन कर टूटेगी बरसात, जबकि गदरपुर में 200 एकड़ भूमि खाली पड़ी है,

महोदय, 13 जूनव2021 के बाद मानसून बड़े वेग से उत्तराखंड में आ रहा है, जिससे पिथौरागढ़ के जॉन 5 में बसे संवेदनशील गावो में बरसात कहर बन कर टूटेगी, वही किसान सहकारी चीनी मिल जोकि गदरपुर के समीप स्थित है वह एक सरकारी संपत्ति है जोकि 2016 से बंद हो गयी है और बेकार पड़ी है, जिसपर कोई भी बड़ा सरकारी योजना को स्थापित किया जा सकता है, ये मिल करीब 200 एकड़ जमीन पर स्थापित है। क्या इस भूमि पर विस्थापन का कार्य नही हो सकता? क्या उत्तराखंड के पर्वतीय वासियों का जीवन इतना सस्ता हो गया है, जो हर वर्ष धन जन की क्षति होती रही,

महोदय,  उत्तराखंड (Uttarakhand) में मानसून जल्द ही दस्तक देने वाला है. बावजूद इसके जोन फाइव में बसे पिथौरागढ़ के संवेदनशील गांव विस्थापित नहीं हो पाए हैं. अब हालात ये हैं कि विस्थापन की राह तक रहे इन गांवों पर कभी भी आसमानी आफत मौत बनकर बरस सकती है. बॉर्डर डिस्ट्रिक (Border District) के दर्जनों गांव दशकों से प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे हैं. ऐसी शायद ही कोई बरसात हो जब यहां के गांवों में आसमानी आफत न बरसी हो. प्रकृति के तांडव ने अब तक सैकड़ों लोगों को अपने आगोश में भी ले लिया है. बावजूद इसके अभी भी विस्थापन (Displacement) का मुद्दा हल नहीं हो पा रहा है. जिले में 37 गांवों को विस्थापन की सूची में शामिल किया गया है. लेकिन शासन से धनराशि मिली है सिर्फ 4 गांवों को विस्थापित करने की. जिला आपदा प्रबंधनधिकारी भूपेन्द्र महर ने बताया कि धारचूला के 4 गांवों को विस्थापित करने के लिए शासन से धनराशि मिल चुकी है. शेष गांवों के प्रस्ताव शासन में लम्बित हैं.

पिथौरागढ़ में सबसे अधिक गांवों का विस्थापन धारचूला और मुनस्यारी की तहसीलों में होना है. धारचूला में 16 गांवा को तत्काल विस्थापन की दरकार है, जबकि मुनस्यारी में 14 गांवों पर आसमानी आफत का खतरा मंडराया हुआ है. वहीं, डीडीहाट के भी 3 गांवों की विस्थापित किया जाना जरूरी है. बेरीनाग में भी एक गांव ऐसा है जिसका वजूद कभी भी बारिश खत्म कर सकती है. विस्थापन न होने के कारण प्रशासन को अब संवेदनशील गांवों के लिए अन्य विकल्पों तलाशने पड़ रहे हैं. डीएम पिथौरागढ़ आनंद स्वरूप ने बताया कि बरसात के सीजन में संवेदनशील गांवों में रहने वालों को पंचायत भवन या फिर स्कूलों में रखा जाएगा, जिससे जान का नुकसान न हो.

शासन ने फिलहाल धारचूला के 4 गांवों को विस्थापित करने के लिए हरी झंड़ी दिखाई है. इन गांवों के लिए साढ़े पांच करोड़ की धनराशि भी जारी कर दी गई है. लेकिन जब बरसात मुहाने पर खड़ी हो तो जाहिर है कि 4 गांवों का भी फिलहाल विस्थापन संभव नहीं है. पिथौरागढ़ में प्राकृतिक आपदाओं का तांडव बीते कुछ सालों में इस कदर बढ़ा है कि कई गांवों को वजूद ही पूरी तरह मिट गया है, जिसमें सैकड़ों लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि जल्द ही संवेदनशील गांवों को विस्थापित किया जाए, ताकि जिंदगी महफूज हो सके.

आशंका सटीक साबित हुई, धारचूला के जुम्मा गांव में 30 August 2021 रविवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया

धारचूला के जुम्मा गांव में 30 August 2021 रविवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया था। अतिवृष्टि से जामुनी और नालपोली तोक में सात मकान जमींदोज हो गए थे। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई थी। जबकि अभी भी दो लोग लापता हैं। धारचूला के जुम्मा गांव में रविवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया था। अतिवृष्टि से जामुनी और नालपोली तोक में सात मकान जमींदोज हो गए थे। मलबे में तीन बहनों और उनके चाचा-चाची समेत सात लोग दब गए थे। इनमें से तीनों बहनों और दो महिलाओं के शव बरामद कर लिए गए थे, जबकि दंपती (तीनों बहनों के चाचा-चाची) लापता हैं। घटना में जुम्मा गांव के चार लोग घायल हुए थे। रविवार की रात शुरू हुई मूसलाधार बारिश से जुम्मा गांव के जामुनी और नालपोली तोक में जबर्दस्त भूस्खलन हुआ और सात मकान जमींदोज हो गए थे। जामुनी तोक में चंद्र सिंह धामी, उनकी पत्नी हाजरी देवी और तीन भतीजियां संजना, रेनू और शिवानी मलबे में दब गईं थी। चंद्र सिंह के बड़े भाई जोगा सिंह ने पत्नी और दो बेटों के साथ सुरक्षित स्थान की ओर भागकर जान बचाई थी। मकान ध्वस्त होने से जुम्मा के नर सिंह, जयमती, दीया और अंजली घायल हो गई थी। जुम्मा गांव के ही नालपोली तोक में सास-बहू मलबे में दब गईं थी। इसके अलावा, सुनीता देवी पत्नी दीपक सिंह और पार्वती देवी पत्नी लाल सिंह भी मकान ध्वस्त होने से मलबे में दब गए थे। जामुनी तोक के जोगा सिंह की तीन पुत्रियों संजना, रेनू व शिवानी के अलावा जामुनी की ही सुनीता देवी और नालपोली तोक की पार्वती देवी के शव बरामद हो गए थे। मलबे में दबे जामुनी तोक के चंद्र सिंह और उनकी पत्नी हाजरी देवी की ढूंढखोज की जा रही है। घायलों को उपचार के लिए हेलीकॉप्टर से धारचूला लाया गया है। 

चन्द्रशेखर जोशी  मुख्य संपादक हिमालयायूके बेव एण्‍ड प्रिन्‍ट मीडिया &

अध्यक्ष उत्तराखंड ;- राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद (संत सहयोगी प्रकोष्ठ) उत्तराखंड &

केंद्रीय महासचिब ;- कुर्मांचल परिषद देहरादून

कार्यालय ;- नन्दा देवी एंकल्वेव, बंजारा वाला देहरादून मो0 9412932030

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