कठिन संघर्षो के बीच कमान संभालने जा रहे राहुल

High Lights#कठिन संघर्षो के बीच कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे राहुल # अपने पहले इंटरव्यू में, राहुल गांधी ने स्वयं को ‘देश को जोड़ने वाली शख्सियत’ के रूप में पेश किया था  #”हां मैं तैयार हूं “- लम्‍बे संघर्षो के बाद राहुल गांधी ने स्‍वयं को सिद्व करने के उपरांत यह हुंकार भरी   #  राहुल गॉधी ने सिद्व कर दिया कि उनको भविष्‍य में कुर्सी सत्‍ता मिली तो बैठे बैठाये नही मिली#  कांग्रेस पर बडे संकट के बीच  अपनी योग्‍यता साबित करने पर ही उनको भविष्‍य में कुर्सी मिलेगी#  जनवरी 2004 में राहुल ने कहा था- मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब प्रवेश करूँगा और वास्तव में, करूँगा भी या नहीं” # मार्च 2004 में उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश की घोषणा की#  जनवरी 2006 में, पार्टी में तुरंत एक उच्च पद लेने से मना कर दिया #24 सितंबर 2007 में  अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त # दिसम्‍बर 2017 को आर0जी0 काग्रेस के अध्‍यक्ष बनने जा रहे है #सोनिया गांधी ने उन्हें एक राष्ट्रीय स्तर का कांग्रेस नेता बनाने के लिए तैयार किया#  चन्द्रशेखर जोशी सम्पाादक की राहुल गॉधी के संघर्षो पर विशेष रिपोर्ट विशेष रिपोर्ट # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 

सितारो की चाल से यह सब संभव हो पा रहा है, एक समय ऐसा आयेगा जब राहुल अपने दम पर , स्‍वयं के संघर्षो के बल पर

प्रधानमंत्री बन सकेगे, ऐसा ज्योतिषविदो का मानना हैं. 

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लौह महिला के नाम से विख्‍यात भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गॉधी –अपनी दादी के साथ बाल्‍य अवस्‍था में राहुल गॉधी –

आज राहुल गाँधी की लोकप्रियता बढ़ रही है और वह राज्यो् के विधानसभा चुनावो में मोदी को कडी टक्‍कर दे रहे है, अगले आम लोकसभा चुनाव में वह मोदी को टक्कर देते हुए भी नजर आ रहे हैं. इन संघर्षो के बीच राहुल गांधी गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले अध्यक्ष बन जाएंगे.   राहुल गांधी खुद अपने करीबियों को कह चुके हैं कि गुजरात चुनाव के मतदान की पहली तारीख नौ दिसंबर के पहले वो पार्टी की कमान संभाल लेंगे. इस पर गांधी परिवार में सहमति बन चुकी है. 20 नवंबर को सुबह 10.30 बजे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होगी, जिसमें राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने पर मुहर लगेगी.  कार्य समिति की मुहर के बाद राहुल गांधी की ताजपोशी का शेड्यूल जारी किया जाएगा. एक दिसंबर को ही राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा कर दी जाएगी. 19 साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यानी कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष मिलने वाला है. पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी निर्विरोध नया अध्यक्ष चुने जायेगे, राहुल की ताजपोशी के दिन यूपी निकाय चुनाव के नतीजे आएंगे और करणी सेना ने भी इन दिन फिल्म पद्मावती को लेकर भारत बंद का ऐलान किया है.
इसका सीधा सा अर्थ यह जाता है कि कठिन संघर्षो के बीच राहुल कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं, और कांग्रेस को सत्‍ता तक ले जाने में उन्‍हें कडी मेहनत करनी होगी, राहुल गांधी समझ गये हैं कि कांग्रेस की हालात बदलने के लिए पूरी टीम ही बदलनी होगी. यही कारण है कि राहुल गांधी ने नए प्रवक्ता और नई टीम तैयार कर ली है. अगले आम चुनावों में अधिक से अधिक युवाओं को टिकट मिलने वाली है. युवाओं के दम पर राहुल प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

हां मैं तैयार हूं- राहुल गांधी ने सिद्व किया
कुछ समय पूर्व  राहुल गांधी ने यूएस की Berkeley यूनिवर्सिटी में भाषण दिया। उन्होंने अपनी दादी इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए कहा जब इंदिरा गांधी से पूछा गया था कि भारत ‘लेफ्ट जाएगा या फिर राइट’ तो उन्होंने कहा था कि भारत सीधा खड़ा होगा और बढ़ेगा। राहुल ने आगे कहा कि इतिहास में कोई देश ऐसा नहीं रहा है जिसने भारत के मुकाबले लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला हो। राहुल गांधी से पूछा गया कि वह कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे? इसपर राहुल ने कहा हां मैं तैयार हूं, पार्टी में यह तय करने के लिए एक प्रक्रिया है जो कि जारी है। पार्टी मिलकर इसपर फैसला लेगी। 

राहुल आसानी से हार नहीं मानते-  हार को जल्द स्वीकार भी करते है

सितारो की चाल से यह सब संभव हो पा रहा है, एक समय ऐसा आयेगा जब राहुल अपने दम पर प्रधानमंत्री बन सकेगे, ऐसा ज्योतिषविदो का मानना हैं.
आज राहुल गान्धी की लोकप्रियता अचानक से बढ़ती हुई नजर आ रही है राहुल गांधी की सबसे अच्छी एक बात यह भी है कि राहुल आसानी से हार नहीं मानते हैं. अपनी हार को जल्द स्वीकार करके वह बेहतर भविष्य के लिए जल्द काम करने लग जाते हैं. देशभर के लोगों ने एक समय राहुल गांधी पर कई मजाक किये लेकिन इसके बावजूद आज राहुल लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं. युवा लगातार राहुल की बात सुन रहा है और राहुल भी सही तरह से युवाओं तक अपनी बात पंहुचा पा रहे हैं. सितारो की चाल से यह सब संभव हो पा रहा है, एक समय ऐसा आयेगा जब राहुल अपने दम पर प्रधानमंत्री बन सकेगे, ऐसा ज्योतिषविदो का मानना हैं. साल 2019 में राहुल के हाथों में कई अच्छे मुद्दे होंगे. अगर ऐसे में वह इन मुद्दों का लाभ उठा पाते हैं तो वह अगले आम चुनावों के समय कांग्रेस को मजबूत करने में सफल होगे राहुल गाँधी जानते हैं कि भारत के युवा को नई सरकार ने रोजगार के नाम पर कुछ भी खास नहीं दिया है. ऐसे में राहुल गांधी का यह कहना कि वह उनके पास युवाओं के रोजगार के लिए अच्छा प्लान है तो यह बात भारतीय युवाओं के लिए जैसे एक रोशनी की किरण है. अब युवाओं को राहुल गाँधी से उम्मीद होने लगी है.

वही गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी की ताजपोशी   है. कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्लूसी) ने सोमवार को इस बारे में अहम बैठक बुलाई है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास, 10 जनपथ में सोमवार सुबह 10:30 बजे यह बैठक बुलाई गई है.   इस बैठक में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर मुहर लग सकती है.   कांग्रेस सेंट्रल इलेक्शन कमेटी ने सोनिया गांधी को चुनाव का प्रस्तावित शेड्यूल पहले ही दे दिया था. इस पर उन्होंने विचार कर लिया है. अब सीडब्लूसी की बैठक में इस पर मुहर लगाई जाएगी. इसके बाद सोमवार को यह तय हो जाएगा कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष का पद कब संभालेंगे. सीडब्लूसी की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के शेड्यूल का ऐलान होगा, जो लगभग 10 से 15 दिन का होगा.   पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए किसी अन्य नेता ने नामांकन दाखिल करना मुमकिन नही है शीघ्र राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष घोषित कर दिया जायेगा 

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 100वीं जयंती पर उन्हें याद करते हुए राहुल गांधी भावुक होते दिखे. उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट कर अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं. इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था. वह भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद सबसे ज्यादा वक्त तक इस पद पर रहने वाली दूसरी प्रधानमंत्री थीं. वह जनवरी 1966 से मार्च 1977 और 14 जनवरी 1980 से वर्ष 1984 में अपनी हत्या तक प्रधानमंत्री रहीं.

राहुल छवि दिनों-दिन बेहतर 

  राहुल के खिलाफ कोई भी दूसरा नेता पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में खड़ा नहीं होगा.  चुनाव 9 दिसंबर यानी गुजरात चुनाव से पहले कराए जा सकते हैं. 9 दिसंबर को गुजरात में पहले चरण के चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे.  कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद गुजरात चुनाव राहुल गांधी की साख का सवाल हो जाएगा. ‘घर घर कांग्रेस’ कैंपेन के साथ कांग्रेस गुजरात चुनाव में भावनात्मक रूप से लोगों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश कर रही है. राहुल गांधी की हाल की रैलियों में गुजरात में काफी माहौल बनाया है. उनकी छवि दिनों-दिन बेहतर होती जा रही है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों को तय करने के लिए सीडब्लूसी यानी कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक 20 नवम्बर को सुबह साढ़े दस बजे बुलाई है. सूत्रों के मुताबिक गुजरात चुनाव के पहले राहुल की ताजपोशी हो जाएगी.
कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीख तय की जाएगी. चुनाव की अधिसूचना जारी होने से लेकर उम्मीदवारों के नामांकन से लेकर नाम वापसी और मतदान की तारीखों का एलान किया जाएगा. अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सदस्य अध्यक्ष पद के लिए पीसीसी यानी प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सदस्य वोट करते हैं. हालांकि कांग्रेस में नए अध्यक्ष का जो चुनाव होने जा रहा है वो महज औपचारिकता है क्योंकि राहुल के सामने किसी और के उम्मीदवार बनने की कोई संभावना नहीं है. इसके अलावा ताजा सांगठनिक चुनावों के बाद नई चुनी गई प्रदेश कमेटियां राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास कर चुकी हैं. कांग्रेस को इस साल के अंत तक सांगठनिक चुनाव पूरा करना है. नए अध्यक्ष के चुने जाने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी एआईसीसी के अधिवेशन में इस पर मुहर लगेगी और नई कांग्रेस वर्किंग कमिटी चुनी जाएगी. कांग्रेस वर्किंग कमिटी पार्टी में फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई है. फिलहाल 1998 से सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. 47 साल के राहुल गांधी 2004 से संसद में उत्तरप्रदेश के अमेठी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
जिस तरह गुजरात चुनाव के पहले राहुल की ताजपोशी होने वाली है ऐसे में गुजरात चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम हो जाता है. पिछले दिनों राहुल ने गुजरात में जम कर प्रचार किया है और अब टिकटों को अंतिम रूप देने में लगे हैं.

राहुल गॉधी ने सिद्व कर दिया कि उनको भविष्‍य में कुर्सी सत्‍ता मिली तो बैठे बैठाये नही मिली, कांग्रेस पर बडे संकट के बीच उन्‍हे अपनी योग्‍यता साबित करने पर ही उनको भविष्‍य में कुर्सी मिलेगी,

राहुल गॉधी पर विस्‍तार से – हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल द्वारा 

राहुल गांधी (जन्म:19 जून 1970) एक भारतीय नेता और भारत की संसद के सदस्य हैं और भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में उत्तर प्रदेश में स्थित अमेठी चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। राहुल गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध हैं।[ राहुल भारत के प्रसिद्ध गांधी-नेहरू परिवार से हैं। राहुल को 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस को मिली बड़ी राजनैतिक जीत का श्रेय दिया गया है। उनकी राजनैतिक रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता पर बल देना, ग्रामीण जनता के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना प्रमुख हैं। आजकल राहुल अपना सारा ध्यान पार्टी को जड़ से मजबूत बनाने पर केंद्रित कर रहे हैं।
राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वर्तमान काँग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के यहां हुआ था। वह अपने माता पिता की दो संतानों में बड़े हैं और प्रियंका गांधी वढेरा के बड़े भाई हैं। राहुल की दादी इंदिरा गांधी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री थीं।
राहुल की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में की और इसके बाद वो प्रसिद्ध दून विद्यालय में पढ़ने चले गये जहां उनके पिता ने भी विद्यार्जन किया था। सन 1981-83 तक सुरक्षा कारणों के कारण राहुल को अपनी पढ़ाई घर से ही करनी पड़ी। राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की।
स्नातक स्तर तक की पढ़ाई कर चुकने के बाद राहुल ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया। इस दौरान उनकी कंपनी और सहकर्मी इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे कि वे किसके साथ काम कर रहे हैं क्योंकि राहुल यहां एक छद्म नाम रॉल विंसी के नाम से इस कम्पनी में नियोजित थे। सन 2002 के अंत में वह मुंबई में स्थित अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित एक कम्पनी ‘आउटसोर्सिंग कंपनी बैकअप्स सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक-मंडल के सदस्य बन गये।
2003 में, राहुल गांधी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बारे में बड़े पैमाने पर मीडिया में अटकलबाजी का बाज़ार गर्म था, जिसकी उन्होंने तब कोई पुष्टि नहीं की। वह सार्वजनिक समारोहों और कांग्रेस की बैठकों में बस अपनी माँ के साथ दिखाई दिए। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला देखने के लिए सद्भावना यात्रा पर अपनी बहन प्रियंका गाँधी के साथ पाकिस्तान भी गए।

जनवरी 2004 में राहुल ने कहा था- मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब प्रवेश करूँगा और वास्तव में, करूँगा भी या नहीं।” मार्च 2004 में, मई 2004 का चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश की घोषणा की,
जनवरी 2004 में राजनीति उनके और उनकी बहन के संभावित प्रवेश के बारे में अटकलें बढ़ीं जब उन्होंने अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी का दौरा किया, जहाँ से उस समय उनकी माँ सांसद थीं। उन्होंने यह कह कर कि “मैं राजनीति के विरुद्ध नहीं हूँ। मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब प्रवेश करूँगा और वास्तव में, करूँगा भी या नहीं।”
एक स्पष्ट प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था।
मार्च 2004 में, मई 2004 का चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश की घोषणा की, वह अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए खड़े हुए, जो भारत की संसद का निचला सदन है। इससे पहले, उनके चाचा संजय गांधी ने, जो एक विमान दुर्घटना के शिकार हुए थे, ने संसद में इसी क्षेत्र का नेतृत्व किया था। तब इस लोकसभा सीट पर उनकी माँ थी, जब तक वह पड़ोस के निर्वाचन-क्षेत्र रायबरेली स्थानान्तरित नहीं हुई थी। उस समय इनकी पार्टी ने राज्य की 80 में से महज़ 10 लोकसभा सीट ही जीतीं थीं और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का हाल बुरा था। इससे राजनीतिक टीकाकारों को थोड़ा आश्चर्य भी हुआ जिन्होंने राहुल की बहन प्रियंका गाँधी में करिश्मा कर सकने और सफल होने की संभावना देखी थी। पर तब पार्टी के अधिकारियों के पास मीडिया के लिए उनका बायोडेटा तैयार नहीं था। ये अटकलें लगाई गयीं कि भारत के सबसे मशहूर राजनीतिक परिवारों में से एक देश की युवा आबादी के बीच इस युवा सदस्य की उपस्थिति कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक भाग्य को पुनर्जीवन देगी। विदेशी मीडिया के साथ अपने पहले इंटरव्यू में, उन्होंने स्वयं को ‘देश को जोड़ने वाली शख्सियत’ के रूप में पेश किया और भारत की “विभाजनकारी” राजनीति की निंदा की, यह कहते हुए कि वह जातीय और धार्मिक तनाव को कम करने की कोशिश करेंगे। उनकी उम्मीदवारी का स्थानीय जनता ने उत्साह के साथ स्वागत किया, जिनका इस क्षेत्र में इस गाँधी-परिवार से एक लंबा संबंध था। , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेत वह एक विशाल बहुमत से जीते, वोटों में 1,00,000 के अंतर के साथ इन्होंने परिवार का गढ़ बनाए रखा, जब कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित रूप से हराया। उनका अभियान उनकी छोटी बहन, प्रियंका गाँधी द्वारा संचालित किया गया था। 2006 तक उन्होंने कोई अन्य पद ग्रहण नहीं किया और मुख्य निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया और भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्रेस में व्यापक रूप से अटकलें थी कि सोनिया गांधी भविष्य में उन्हें एक राष्ट्रीय स्तर का कांग्रेस नेता बनाने के लिए तैयार कर रही हैं।
जनवरी 2006 में, हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सम्मेलन में, पार्टी के हजारों सदस्यों ने गांधी को पार्टी में एक और महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया और प्रतिनिधियों के संबोधन की मांग की. उन्होंने कहा, “मैं इसकी सराहना करता हूँ और मैं आपकी भावनाओं और समर्थन के लिए आभारी हूँ. मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपको निराश नहीं करूँगा” लेकिन उनसे इस बारे में धैर्य रखने को कहा और पार्टी में तुरंत एक उच्च पद लेने से मना कर दिया.
गांधी और उनकी बहन ने 2006 में रायबरेली में पुनः सत्तारूढ़ होने के लिए उनकी माँ का चुनाव अभियान हाथ में लिया, जो आसानी से 4,00,000 मतों से अधिक अंतर के साथ जीती थीं।
2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए एक उच्च स्तरीय कांग्रेस अभियान में उन्होंने प्रमुख भूमिका अदा की ; हालाँकि कांग्रेस ने 8.53% मतदान के साथ केवल 22 सीटें ही जीतीं। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को बहुमत मिला, जो पिछड़ी जाति के भारतीयों का प्रतिनिधित्व करती है।
राहुल गांधी को 24 सितंबर 2007 में पार्टी-संगठन के एक फेर-बदल में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त किया गया था। उसी फेर-बदल में, उन्हें युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का कार्यभार भी दिया गया था।
एक युवा नेता के रूप में खुद को साबित करने के उनके प्रयास में नवम्बर 2008 में उन्होंने नई दिल्ली में अपने 12, तुगलक लेन स्थित निवास में कम से कम 40 लोगों को ध्यानपूर्वक चुनने के लिए साक्षात्कार आयोजित किया, जो भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) के वैचारिक-दस्ते के हरावल बनेंगे, जब से वह सितम्बर 2007 में महासचिव नियुक्त हुए तब से इस संगठन को परिणत करने के इच्छुक रहे हैं।
2009 के लोकसभा चुनावों में, उन्होंने उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 3,33,000 वोटों के अन्तर से पराजित करके अपना अमेठी निर्वाचक क्षेत्र बनाए रखा। इन चुनावों में कांग्रेस ने कुल 80 लोकसभा सीटों में से 21 जीतकर उत्तर प्रदेश में खुद को पुनर्जीवित किया और इस बदलाव का श्रेय भी राहुल गांधी को ही दिया गया है। छह सप्ताह में देश भर में उन्होंने 125 रैलियों में भाषण दिया था।
पार्टी-वृत्त में वह ‘आर जी’ के नाम से जाने जाते हैं।  ‘आर जी’  को हिमालयायूके परिवार की ओर से अग्रिम शुभकामनाये-

हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड- फेसबुक तथा टविटर एवं समस्‍त सोशल मीडिया में उपलब्‍ध- 

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