आखिरकार शिवराजसिंह चौहान ने अपनी हार स्वीकारी

 

 

 

 मंगलवार को दिनभर कांटे की टक्कर होने के बाद बुधवार सुबह चुनाव आयोग ने कांग्रेस को 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी घोषित की थी. इधर मायावती और अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.  मध्य प्रदेश में भाजपा का रोकने के लिए मायावती (Mayawati) के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के चीफ और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कांग्रेस (Congress) पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।

मध्य प्रदेश में आखिरकार शिवराज सिंह चौहान ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. बुधवार सुबह शिवराज मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि जनता ने हमें स्पष्ट बहुमत नहीं दिया है. शिवराज ने कहा कि हमने फैसला किया है कि स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण हम सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. मैं अपना इस्तीफा देने महामहिम राज्यपाल के पास जा रहा हूं. इतना कहने के बाद शिवराज फौरन कुर्सी से उठे और सीधे राजभवन की ओर रवाना हो गए. इस्तीफे के बाद शिवराज ने कहा कि अब मैं आजाद हूं.

राज्यपाल से मिलने के बाद शिवराज ने कहा कि इस्तीफा देकर आया हूं. पराजय की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी है. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अथक परिश्रम किया.

 राज्यपाल ने भी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए न्योता दे दिया है. राज्यपाल के निमंत्रण पर कांग्रेस भी तुरंत एक्टिव हो गई. हालांकि अभी तक कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर फैसला नहीं हो सका है. कांग्रेस में एक खेमा ज्योतिरादित्य सिंधिया तो दूसरा खेमा कमलनाथ को मुख्यमत्री बनाने की मांग कर रही है.

इससे पहले तक बीजेपी में अंदरखाने सरकार बनाने की जोड़तोड़ चलती रही. शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा और राकेश सिंह रातभर मीटिंग करते रहे. लेकिन सुबह तक इसकी कोई संभावना बनती नहीं दिखी. एग्जिट पोल में बीजेपी की हार दिखाए जाने पर शिवराज सिंह ने कहा था कि ‘मैं सबसे बड़ा सर्वेयर हूं. मैं जनता की नब्ज भलीभांति जानता हूं. मैंने मध्य प्रदेश में यात्रा की है और लोगों से मिला हूं. सूबे में बीजेपी एक बार फिर से बहुमत से जीत दर्ज करेगी और सरकार बनाएगी.’

बसपा प्रमुख मायावती ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के समर्थन का ऐलान किया है. बुधवार को मायावती ने कहा कि बीजेपी सत्ता में आने के लिए जोड़तोड़ में लगी हुई है, वह उनका ये मकसद पूरा नहीं होने दूंगी. कांग्रेस की नीतियों से सहमति ना जताते हुए भी बसपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन करेगी. अगर राजस्थान में भी कांग्रेस को समर्थन की जरूरत पड़ेगी तो वहां भी बसपा उन्हें समर्थन करेगी. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में बसपा के दो और राजस्थान में 6 विधायक चुनकर आए हैं.  बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए चुनाव लड़ा था लेकिन हम मकसद में कामयाब नहीं हो पाए. मध्य प्रदेश में अभी भी बीजेपी जोड़तोड़ में लगी हुई है, जिसे रोकने के लिए कांग्रेस की नीतियों से सहमति ना जताते हुए भी बसपा कांग्रेस को समर्थन करेगी. ताकि बीजेपी राज्य में सरकार ना बना पाए. राजस्थान में भी अगर कांग्रेस को सरकार बनाने से लिए समर्थन की जरूरत हुई तो बसपा वहां समर्थन करेगी.

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