जय हनुमान ज्ञान गुर सागर ; हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष सुपर मून के दिदार

Hanuman Jayanti 2020: हनुमान जी का जन्मोत्सव हनुमान जयंती 08 अप्रैल दिन बुधवार को है। भगवान शिव के अवतार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। हनुमान जयंती पर विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनको प्रसन्न कर सकते हैं। हनुमान जी संकट मोचन कहलाते हैं। पूर्णिमा की रात चांद को अर्घ्य भी दिया जाता है। इस बार पूर्णिमा पर विशेष सुपरमून दिखाई देगा। पूर्णिमा की रात चांद हमारे ग्रह से ज्यादा नज़दीकी के कारण, चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।  सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उसमें लौंग डालें। सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। उनकी मूर्ति के ऊपर गुलाब की माला चढ़ाएं। इसके बाद एक नारियल पर स्वस्तिक बनाएं। इस नारियल को हनुमान जी को अर्पित करें। इससे बुरा समय चल रहा होगा तो वह कट जाएगा।

हनुमान कवच मंत्र  “ॐ श्री हनुमते नम:”

पवनपुत्र हनुमान जी को हलुवा, गुड़ से बने लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती बहुत प्रिय है। पूजा के समय उनको आप इन मिष्ठानों आदि का भोग लगाएं, वे अतिप्रसन्न होंगे। काफी लोग उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू भी चढ़ाते हैं।

हिन्‍दू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्‍त हनुमान को संकट मोचक माना गया है. मान्‍यता है कि श्री हनुमान का नाम लेते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्‍त को किसी बात का भय नहीं सताता है. उनके नाम मात्र से आसुरी शक्तियां गायब हो जाती हैं. हनुमान जी (Hanuman) के जन्‍मोत्‍सव को देश भर में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. मान्‍यता है कि श्री हनुमान ने श‍िव के 11वें अवतार के रूप में माता अंजना की कोख से जन्‍म लिया था. हिन्‍दुओ में हनुमान जयंती की विशेष मान्‍यता है. हिन्‍दू मान्‍यताओ में श्री हनुमान को परम बलशाली और मंगलकारी माना गया है.

सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।

बुधवार को सुबह 08:04 बजे के बाद वैशाख मास प्रारंभ हो जाएगा। बुधवार को सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है, हलां​कि यह केवल 4 मिनट का है। सुबह 06:03 बजे से 06:07 बजे के मध्य सर्वार्थ सिद्धि योग में हनुमान जी की पूजा कर लेना उत्तम रहेगा।

: मान्‍यता है कि हनुमान (Lord Hanuman) के स्‍मरण मात्र से ही सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं और भक्‍तों को किसी बात का भय भी नहीं सताता. आपको बता दें आज ही के भगवान श‍िव के 11वें अवतार हनुमान ने माता अंजना की कोख से जन्‍म लिया था. इसी खुशी में हनुमान जयंती मनाई जाती है. 

चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती होने की वजह से हिंदू धर्म में इसका बड़ा ही महत्व है।  इस वर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि 7 अप्रैल को दिन में 2 बजकर ..
 33 मिनट पर लग चुकी है  और यह अगले दिन यानी 8 अप्रैल सुबह 8 बजकर 3 मिनट तक रहेगी। इसलिए हनुमान जयंती की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय सूर्योदय से   8 बजकर 3 मिनट तक है। वैसे शास्त्रीय मत यह कि जिस तिथि में सूर्योदय होता है पूरे दिन उस तिथि की मान्यता रहती है। इसलिए आप पूरे दिन हनुमानजी की आराधना कर सकते हैं।

इसलिए हनुमानजी का जन्मदिन साल में 2 बार मनाया जाता है, महवीर हनुमानजी के बारे में कई ऐसी बाते हैं जो उन्हें सभी सभी देवताओं से खास बनाते हैं।  हनुमानजी की जन्मतिथि को लेकर जैसे एक मत नहीं है उसी प्रकार  उनके जन्मस्थान को लेकर भी एक मत नहीं है। एक मत के अनुसार झारखंड के गुमला जिले में एक गांव है जिसका नाम आंजन है।  यहीं एक गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था।  यहां हनुमानजी की एक प्राचीन प्रतिमा है  जिसे  इस बात का प्रमाण बताया जाता  है  कि यहीं शिव भक्तिनी अंजनी ने हनुमानजी को जन्म दिया था। हनुमानजी के जन्म स्थान को लेकर चर्चित स्थानों में कर्नाटक  हंपी भी प्रसिद्ध है।  ऐसी मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां रामायण काल में किष्किंधा नगरी हुआ करती थी, जहां के राजा सुग्रीव थे। यहीं हनुमानजी  के पिता केसरी जी रहा करते थे  इसके अलावा गुजरात के डांग जिले के लोग भी यह दावा करते हैं कि हां अंजनी गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था।  हनुमानजी के जन्मस्थान और जन्मतिथि को लेकर जो भी मत  हो लेकिन इनके दोनों ही जन्मतिथि पर इनही पूजा विशेष फलदायी फलदायी मानी गई है।

हनुमान जयंती का महत्‍व 
भक्‍तों के लिए हनुमान जयंती का खास महत्‍व है. संकटमोचन हनुमान को प्रसन्‍न करने के लिए भक्‍त पूरे दिन व्रत रखते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. मान्‍यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्‍न होकर भक्‍तों पर कृपा बरसाते हैं. इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है. घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं. हनुमान जी को प्रसन्‍न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है और सुंदर कांड का पाठ करने का भी प्रावधान है. शाम की आरती के बाद भक्‍तों में प्रसाद वितरित करते हुए सभी के लिए मंगल कामना की जाती है. श्री हनुमान जयंती में कई जगहों पर मेला भी लगता है.

हनुमान जयंती की पूजा विधि 
 हनुमान जयंती के दिन सुबह-सवेरे उठकर सीता-राम और हनुमान जी को याद करें. 
 स्‍नान करने के बाद ध्‍यान करें और व्रत का संकल्‍प लें. 
 इसके बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर पूर्व दिशा में हनुमान जी की प्रतिमा को स्‍थापित करें. मान्‍यता है कि हनुमान जी मूर्ति खड़ी अवस्‍था में होनी चाहिए. 
 पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें: ‘ॐ श्री हनुमंते नम:’.
 इस दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं. 
 हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं. 
 मंगल कामना करते हुए इमरती का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है. 
 हनुमान जयंती के दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. 
 आरती के बाद गुड़-चने का प्रसाद बांटें. 

हनुमान जयंती के दिन बरतें ये सावधानियां 
 हनुमान जी की पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्‍व है. ऐसे में नहाने के बाद साफ-धुले कपड़े ही पहनें. 
 मांस या मदिरा का सेवन न करें. 
 अगर व्रत रख रहे हैं तो नमक का सेवन न करें. 
 हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और स्‍त्रियों के स्‍पर्श से दूर रहते थे. ऐसे में महिलाएं हनुमन जी के चरणों में दीपक प्रज्‍ज्‍वलित कर सकती हैं. 
 पूजा करते वक्‍त महिलाएं न तो हनुमान जी मूर्ति का स्‍पर्श करें और न ही वस्‍त्र अर्पित करें.

हनुमान जी की आरती 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥

कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥

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